16-21 तक सभी 7 दिवसीय कार्यक्रम, प्रभु रामलाल प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित कार्यक्रमों का विवरण| all 7 days event from 16-21, Details of prabhu ram lala Pran Pratishtha and related events

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आज राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने बताया प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा कैसे होंगे और क्या क्या प्रक्रिया को किया जाएगा और यह भी बताया के प्रभु राम के प्राण प्रतिस्थ कितने दिन चलेंगे और कोने कोने से मंत्रो का जप किया जाएगा और और किस दिन क्या होगा इन सभी के जवाब जानने के लिया आगे पढ़े।

16-21 तक सभी 7 दिवसीय कार्यक्रम, प्रभु रामलाल प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित कार्यक्रमों का विवरण

आज राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने बताया प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा कैसे होंगे और क्या क्या प्रक्रिया को किया जाएगा और यह भी बताया के प्रभु राम के प्राण प्रतिस्थ कितने दिन चलेंगे और कोने कोने से मंत्रो का जप किया जाएगा और और किस दिन क्या होगा इन सभी के जवाब जानने के लिया आगे पढ़े।

1) आयोजन तिथि और स्थल(Event Date and Venue)

आयोजन तिथि और स्थल: भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।

2) शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं(Scriptural Protocols and Pre-Ceremony Rituals)

शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:-


-16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
-17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
-18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
-19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
-19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
-20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
-20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
-21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
-21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

3) अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य: सामान्यत(Adhivas Protocols and Acharyas)

अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य: सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

4) विशिष्ट अतिथिगण(Distinguished Guests:)

विशिष्ट अतिथिगण: प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।

5) विविध प्रतिष्ठान(Diverse Representation)

विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

6) ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग(Historic Tribal Representation)

ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग: भारत के इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा।

7) समाहित परंपराएँ(Inclusive Traditions:)

समाहित परंपराएँ: शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।

8) दर्शन और उत्सव(Darshan and Celebration)

दर्शन और उत्सव: गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं

is rohit sharma invited for ram mandir

भारत के मशहूर क्रिकेटर और हिट मन को भी राम मंदिर की तरह से निमंत्रण मिला है प्रभु रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का, रोहि शर्मा भी आमंत्रित किया गया प्रभु राम की प्रतिष्ठा में , रोहित शर्मा भी शामिल होंगे 7000 VVIP में इस के साथ बहुत सारा फ़िल्मी सितारे , बिग बी, विराट कोहली , सचिन , माहि , बहुत सरे बिजनेसमैन अडानी, अम्बानी और ल क अडवाणी जैसी कए VVIP लोग शामिल होंगे प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा में , यह भी बताय जा रहा है की प्रधान मंदिर नरेंद्र मोदी ही करगे प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा।

FAQ:

Q 22 जनवरी 2024 को क्या है?

शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

Q राम मन्दिर का पूजन कब हुआ?

शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

Q कितने दिन चलेगा प्राण प्रतिष्ठा राम मंदिर की

16-21 तक सभी 7 दिवसीय कार्यक्रम, प्रभु रामलाल प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित कार्यक्रमों का विवरण

Q: राम मंदिर: प्राण प्रतिष्ठा क्या है? यह कैसे किया जाता है?

अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य: सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

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